महाभारतमे भूमिकेलग
लडाई हुइल,
पाण्डपके जीत हुईल,
जनतनमे प्रित हुईल
अस्तके थारु यहाँ,
बर्षौसे वैथत आइल प्रजाति हो,
तराईके भूमिपुत्र थारु जाति हो ।
यहाँते घना बनुवा रेहे,
फाँडके बैथल,
रोग, वियाडसे लरके बैथल, थारु
जुगजुग चम्कति आइत दियावाति हो
तराईके भूमिपुत्र थारु जाति हो ।
अस्तेके
भगवान श्रीकृष्णके वर्त बैथना रित बा,
यहाँके बासिन्दा हो, कहिके गीत बा
“भितरसे निकरल कान्हा बहरी भइल थार
बहरी से निकरल कान्हा अँगना भइल थार ।”
औरे जाने पाछे तराइमे झर्लो
पुर्खा हो थारु, यहाँके बासिन्दामे
तुहरे त नाति हो,
तराईके भूमिपुत्र थारु जाति हो ।
कबो नाई चाहल लडाई
थारु बुद्के सन्तान,
शोषणके ज्वाला फूतल एक थान,
तव कहतै…..
सरकार दे यी, हमार पुर्खौली माती हो
तराईके भूमिपुत्र थारु जाति हो ।
आशाराम चाैधरी,
जाेशीपुर, कैलाली
