
कविता
सन्देश दहित
माँठम् टिक्ली नैहुइन
नाकम् नठ्नी नैहुइन
कानम् झुमका नैहुइन
घेंचम कनसेहरि नैहुइन
हाँठम् कारा टँर्या नैहुइन
गोरम् पायल बिच्छ्या नैहुइन
बिचारी संस्कृति ।
मँन्डरा डफके सट्टम् डिजे बजैलैं
पुट्ठम् छल्कौवा ढोटी छोर्के
जिन्स पैन्टर लगैलैं
आँगम् लहंगा चोलिया छोर्के
बिदेसी पहिरान रोज्लैं
अपन रीति संस्कृति भुलैलैं
आनके पकर्लैं
ओह मारसे
फुरसे आझ मनके रुइठी
बिचारी संस्कृति ।
बर्को सोहावन सजना
बर्खक सिजन
बर्को सोहावन झुम्रा हुरडुंगुवा
गुर्ही डस्या डेवारिम डिन नच्वा
जुरार पर्टी किल माँगर ढमार
मघौटा जसिन नाच
मने आझ
यी आढुनिक जबाना
नोच डर्लिन
चिंठ डर्लिन
सारा इज्जट लुट डर्लिन
चिल्लैली गोहरैली
छटपटैली
मने आखिर कोइ नैसुनल
चिट्कार हुँकान
ओह मारसे अन्तिममे सक्कुनके
घर, अंगना, डुवार, मन मस्तिष्क बिदा लेहली
बिचारी संस्कृति ।
जानकी गाउँपालिका–२ खरगुवार, कैलाली ।
सन्देश दहित
